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7 साल की मासूम अविका आखिर जिंदगी से लड़ते हुए जंग हार गई : शोक में डूबा गाँव


7 साल की मासूम अविका आखिर जिंदगी से लड़ते हुए जंग हार गई : शोक में डूबा गाँव
7 साल की मासूम अविका आखिर जिंदगी से लड़ते हुए जंग हार गई : शोक में डूबा गाँव
13-10-18 10:01:10         sourabh tripathi


अमन शर्मा की रिपोर्ट 

कोतबा:-पिछले 15 दिनों से जिंदगी की जंग लड़ रही सात वर्षीय अविका गुरूवार देर रात जिंदगी की जंग हार गई. घटना की जानकारी मिलते ही शोक में डूबे कोतबा नगर वासी सहित विद्यार्थी जमा होने लगे. विद्यार्थियों ने शव वाहन को ही घेर लिया और बिलख पड़े । बड़ी संख्या में विद्यार्थियों और लोग जमा होते गए और अविका को पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धाजलि दी।

अविका के मौत की खबर मिलते ही पूरे नगर पंचायत छेत्र सहित जिले भर में शोक की लहर देखने को मिली। बड़ी संख्या में अंतिम संस्कार में लोग अविका के घर पहुंचे और अविका के माता, पिता का ढाढ़स बंधाया. लोगों के सहयोग को देखते हुए अविका के माता, पिता भावविभोर हो गए. वहीं अविका के चिकित्सा में देर से आई अड़चनों को लेकर शासन की योजनाओं पर भी सवाल उठें. उल्लेखनीय है कि गत 25 सितंबर को शासकीय आश्रमशाला बुलडेगा में पढ़ रही कक्षा दूसरी की छात्रा अविका पैंकरा पिता रमेश पैंकरा (7) स्कूल से लौटने के दौरान बाईक की ठोकर से गंभीर घायल हो गई थी. मस्तिष्क में गंभीर चोट लगने के कारण अविका को पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फिर रायगढ़ ले जाया गया। रायगढ़ के बाद रायपुर के बालाजी होस्पीटल में अविका का इलाज चल रहा था. अविका के परिवार के पास एक रूपए भी नहीं होने पर शिक्षकों सहित आम लोगों ने सौ रूपए से लेकर हजार रूपए तक चंदा दिए. साथ ही कलेक्टर जशपुर के द्वारा 25 हजार दिए गए। आर्थिक अभाव में परिवार अविका को कहीं और नहीं ले जा सका. काफ़ी मशक्कत से करीब एक सप्ताह के बाद संजीवनी कोष से राशि स्वीकृत हुई, लेकिन अविका की स्थिति तबतक और गंभीर हो चुकी थी, जिसके बाद वह कोमा से बाहर नहीं आ सकी. अविका को स्थानीय अस्पताल में रखने परिजन गुरूवार को कोतबा लेकर पहुंचे, जहां गुरूवार रात करीब 10 बजे चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया. यह खबर मिलते ही छेत्र में शोक की लहर व्याप्त हो गई और बड़ी संख्या में लोग यहां जुटे. यहां के बुलडेगा क्षेत्र के सभी स्कूलों में शोक सभा का आयोजन किया गया. वहीं बड़ी संख्या में छात्र, छात्रांए और शिक्षकों के साथ ही आम लोग अविका के अंतिम संस्कार में शामिल होकर परिजनों का ढाढ़स बंधाया।





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