त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाने के साथ शिवरीनारायण में माघी मेला का शुभारंभ
# सुबह 4:00 बजे पट खुला भगवान शिवरीनारायण का, लोगों की लंबी कतारें दर्शन की प्रतीक्षा में लगी रही*
# शाही स्नान की परंपरा का किया गया निर्वाह! बाजे -गाजे के साथ मठ से संत- महात्मा पहुंचे बाबा घाट
शिवरीनारायण। माघी पूर्णिमा में चित्रोत्पला गंगा के त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के साथ छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध शिवरीनारायण मेले का शुभारंभ हुआ। लोग दूर-दूर से सपरिवार आकर त्रिवेणी संगम में स्नान करके भगवान के दर्शन के लिए लंबी-लंबी कतारों में अपनी बारी का इंतजार करते रहे। प्राप्त जानकारी के धर्म एवं अध्यात्म की पावन नगरी शिवरीनारायण में छत्तीसगढ़ का सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक एवं सबसे बड़े मेले का शुभारंभ माघी पूर्णिमा के अवसर पर हुआ। यह मेला महाशिवरात्रि तक चलेगा। प्रातः 3:00 बजे श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज अपने सहयोगियों तथा शुभचिंतकों के साथ त्रिवेणी संगम तट पर उपस्थित हुए। स्नान के पश्चात अगरबत्ती, धूप, दीप जलाकर चित्रोत्पला गंगा जी की विधिवत पूजा अर्चना की। दीपदान करने के पश्चात वे शिवरीनारायण मठ पहुंचे। यहां भगवान भोलेनाथ एवं पूर्वाचार्यों के चरण पादुका में जल अर्पण करने के पश्चात भगवान जगदीश की सेवा में लग गए। इस बीच नर नारायण मंदिर से पुजारी परिवार के द्वारा बुलावा आया। राजेश्री महन्त जी महाराज अपने सहयोगियों सहित नर नारायण मंदिर पहुंचे। मंदिर का पट खुलने के पश्चात भगवान शिवरीनारायण की विधिवत पूजा अर्चना पुजारी हरीश तिवारी एवं उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा की गई। मेले के मौसम में उन्हें विविध रूप में आकर्षक श्रृंगार से शृंगारित किया गया है ।
लंबी कतारों में लोग प्रतीक्षा करते रहे- माघी पूर्णिमा के अवसर पर दर्शनार्थियों की काफी अधिक भीड़ थी जिसके कारण लोग अपने परिवार सहित लंबी-लंबी कतारों में खड़े हुए नजर आए, छोटे-छोटे बच्चों को अपनी गोद में लेकर माताएं भगवान के दर्शन के लिए कतार में खड़ी रही। दर्शन कर अपने आप को कृतार्थ मान रहे थे।
भीड़ के बीच में लोट मारने वालों की लगी रह तांता- लोग दूर-दूर से जमीन पर भगवान को साष्टांग प्रणाम करते हुए अपने दुख- दर्द को लेकर उपस्थित होते हैं! स्थानीय भाषा में इसे लोट मारना कहते हैं। भगवान के प्रति क्षेत्र वासियों की अटूट श्रद्धा है, भगवान उनकी मन की बातों को सुनते हैं उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। यही कारण है कि लोग दूर-दूर से लोट मारते हुए मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।
रात भर चलता रहा भजन कीर्तन का कार्यक्रम पूरे नगर में- शिवरीनारायण का मेला पूर्णता अध्यात्मिक मेला है। लोग यहां भजन कीर्तन एवं भगवान के नाम के सुमिरन करने के लिए आते हैं और अपने लिए मोक्ष का साधन तैयार करते हैं। माघीपूर्णिमा के अवसर पर पूरे नगर के सभी चौक चौराहों में भजन कीर्तन पर अविरल प्रवाह निर्बाध गति से चलता रहा। लोग सीताराम सीताराम, सीताराम जय सीताराम। श्री राम जय राम जय जय राम। श्री राम जय राम जय जय राम आदि नाम संकीर्तन में तल्लीन थे।
शाही स्नान की परंपरा का निर्वाह- शिवरीनारायण में माघी पूर्णिमा के अवसर पर विगत अनेक वर्षों से शाही स्नान की परंपरा का प्रचलन प्रारंभ हुआ है। इसका निर्वाह करते हुए राजेश्री महन्त जी महाराज संत महात्माओं एवं गणमान्य नागरिकों तथा श्रद्धालुओं के साथ बाजे- गाजे के साथ नगर भ्रमण करते हुए बाबा घाट में पहुंचे और यहां उन्होंने पूजन करके शाही स्नान की परंपरा का निर्वाह किया!
मठ मंदिर प्रांगण में खिचड़ी प्रसाद की व्यवस्था- मठ मंदिर प्रांगण में नगर के समाजसेवियों के द्वारा भगवान श्री शिवरीनारायण के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खिचड़ी प्रसाद की व्यवस्था की गई थी भगवान को भोग लगा हुआ यह प्रसाद प्राप्त कर के लोग काफी गदगद थे।
अनेक लोगों ने दीक्षा प्राप्त की- मठ मंदिर से परंपरागत रूप से जुड़े हुए अनेक लोगों ने आकर के माघी पूर्णिमा के अवसर पर श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर से दीक्षा प्राप्त किया।
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