छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति की देश-विदेश में अमिट छाप: न्यायमूर्ति श्री शर्मा
► सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2018 का समापन
रायपुर, 3 नवम्बर 2018/छत्तीसगढ़ को विकास के शिखर तक ले जाने के संकल्प के साथ आज यहां छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2018 का समापन हो गया। राज्य शासन द्वारा यहां अटल नगर के पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी उद्योग एवं व्यापार परिसर में एक नवम्बर से राज्योत्सव 2018 का आयोजन किया गया था। छत्तीसगढ़ लोक आयोग के प्रमुख लोकायुक्त न्यायमूर्ति श्री टी.पी. शर्मा ने समापन समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। राज्य का निर्माण यहां के समग्र विकास और प्राकृतिक संसाधनों के संपूर्ण उपयोग एवं उपभोग के लिए हुआ था। राज्य उसी दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है। अठारह वर्ष की कम अवधि में ही छत्तीसगढ़ की देश-विदेश में एक अलग छवि स्थापित हुई है।
श्री शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ लोककला और लोक संस्कृति के लिए समृद्ध राज्य है। यहां की कला और संस्कृति की अमिट छाप देश ही नहीं विदेश में भी है। छत्तीसगढ़ के सरहुल, करमा, पंथी, राउत नाचा और गौर लोक नृत्य जहां आनंद और उल्लास भरते हैं, वहीं पंडवानी, रहस, नाचा-गम्मत लोगों को मंत्र-मुग्ध कर देते हैं। सुआ, सोहर, जसगीत, फाग तथा अन्य त्यौहारों पर गाये जाने वाले सुरीले गीत बांध देते हैं। श्री शर्मा ने कहा कि एक नवम्बर 2000 को राज्य का निर्माण हुआ। मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ की एक पहचान बनी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1956 में महाकोशल क्षेत्र अन्य चार क्षेत्रों के साथ मध्यप्रदेश में शामिल हुआ था। छत्तीसगढ़ महाकोशल क्षेत्र के अंतर्गत आता था, जिसमें वर्ष 1956 के पूर्व रायपुर, बिलासपुर, बस्तर, सरगुजा और रायगढ़ 6 बड़े जिले थे। श्री शर्मा ने राज्योत्सव 2018 पर छत्तीसगढ़ की जनता को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि राज्योत्सव 2018 केवल राजधानी रायपुर में मनाया गया। इसे व्यापार मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक सीमित रखा गया, लेकिन राज्य की जनता ने राज्योत्सव में उत्साहपूर्वक भाग लिया, जो प्रशंसनीय है।
राज्य शासन के मुख्य सचिव श्री अजय सिंह ने कहा कि राज्योत्सव 2018 का आयोजन सीमित स्वरूप में किया गया। उसके बाद भी हमारी भावनाओं में कोई कमी नहीं आयी। उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण से लेकर अभी तक के समय को पीछे मुड़कर देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रदेश ने आशातीत प्रगति की है। इसमें प्रदेश की जनता का उल्लेखनीय योगदान रहा है। श्री सिंह ने कहा कि किसी भी राज्य के जीवन काल में 18 वर्ष का समय बहुत कम होता है। इसके बाद भी छत्तीसगढ़ ने अधोसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं के विकास में अभूतपूर्व सफलता पायी है। श्री सिंह ने कहा कि राज्य निर्माण के 18 वर्ष में प्रदेश के विकास की दिशा और दशा तय हो गई है। श्री सिंह ने कहा कि यह विकास यात्रा कई मायनों में चुनौतीपूर्ण रही। यहां की जनता ने इस चुनौती को स्वीकार किया। आज छत्तीसगढ़ विकास की लम्बी छलांग लगाने के कगार पर पहुंच गया है।
अपर मुख्य सचिव श्री सी.के. खेतान ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि राज्योत्सव छत्तीसगढ़ के निवासियों के लिए गौरवशाली होता है। यह हमारे लिए उत्साह का अवसर होता है। उन्होंने कहा कि राज्य की विकास यात्रा में 18 वर्ष विशेष महत्व रखता है। छत्तीसगढ़ जवानी की दहलीज पर और विकास की राह पर नई ऊर्जा के साथ तैयार है। छत्तीसगढ़ अपने दम-खम पर विकास की गति के साथ भारत के मानचित्र पर सिर उठाकर खड़ा है। छत्तीसगढ़ अपनी विकास की गति से पूरे भारत में गौरवान्वित हो रहा है। संस्कृति विभाग की सचिव श्रीमती निहारिका बारिक सिंह ने समापन समारोह में आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर राज्य शासन के अपर मुख्य सचिव श्री आर. पी. मंडल, अपर मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, ग्रामोद्योग सचिव श्री हेमंत पहारे, सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव सुश्री रीता शांडिल्य सहित अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित थे।
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