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महान लोकतंत्र में हर व्यक्ति को देश-प्रदेश के विकास में योगदान का अवसर : डॉ. रमन सिंह


महान लोकतंत्र में हर व्यक्ति को देश-प्रदेश के विकास में योगदान का अवसर : डॉ. रमन सिंह
महान लोकतंत्र में हर व्यक्ति को देश-प्रदेश के विकास में योगदान का अवसर : डॉ. रमन सिंह
15-08-18 02:37:08         sourabh tripathi


राजधानी रायपुर में सादगी पूर्ण ढंग से मनाया गया स्वतंत्रता दिवस
मुख्यमंत्री ने पुलिस परेड मैदान में किया ध्वजारोहण 

रायपुर, 15 अगस्त, 2018 / मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज राजधानी  रायपुर में ध्वजारोहण और परेड की सलामी के बाद जनता के नाम अपने संदेश में कहा - महान लोकतंत्र हमें यह अवसर देता है कि प्रत्येक व्यक्ति देश और प्रदेश के विकास में अपना योगदान दे सके। डॉ. सिंह ने पुलिस परेड मैदान में प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सभी प्रसिद्ध और गुमनाम नायकों तथा राष्ट्र की सुरक्षा और नव निर्माण में अमिट योगदान देने वाले वीरों और विविध प्रतिभाओं को भी याद किया। 

उन्होंने सादगीपूर्ण ढंग से आयोजित स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय मुख्य समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा-छत्तीसगढ़ विकास की बुलंदियों को छू रहा है। प्रदेश के किसानों, मजदूरों, कामगारों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, युवाओं, व्यवसायियों और हर वर्ग के लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर अथक परिश्रम किया, जिसके फलस्वरूप यह सफलता मिल रही है। छत्तीसगढ़ राज्य वर्ष 2025 में जब अपनी रजत जयंती मनायेगा, तक यह स्मार्ट और हरित छत्तीसगढ़ तथा  सशक्त, समृद्ध और खुशहाल छत्तीसगढ़ होगा।  मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया जानती है कि जब छत्तीसगढ़ की जनता कोई संकल्प लेती है तो उसे पूरा करने से कोई रोक नहीं सकता।

  डॉ. सिंह ने कहा-देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाली विभूतियों ने जो सपना देखा था, उसे हम सब मिलकर पूरा कर रहे हैं। अनेक उपलब्धियाँ हासिल करने से नए-नए लक्ष्य तय करने में मदद मिली है। डॉ. सिंह ने  पुलिस, विशेष सशस्त्र बल, होमगार्ड के जवानों तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर (एन.सी.सी.), राष्ट्रीय सेवा योजना और भारत स्काउट्स एवं गाईड्स के विद्यार्थियों की संयुक्त परेड की सलामी ली। उन्होंने खुले वाहन में परेड का निरीक्षण और आम जनता का अभिवादन करने के बाद प्रदेशवासियों के नाम अपना संदेश पढ़ा। 

मुख्यमंत्री ने अमर शहीदों को नमन किया

मुख्यमंत्री ने जनता के नाम अपने संदेश की शुरूआत करते हुए कहा-सुराजी तिहार के पावन बेरा मा मोर जम्मो संगी-जहुंरिया, सियान-जवान, दाई-बहिनी अउ लइका मन ला गाड़ा-गाड़ा बधाई। उन्होंने अमर शहीदों का स्मरण करते हुए कहा-स्वतंत्रता संग्राम के सभी प्रसिद्ध और अनाम नायकों, राष्ट्र की सुरक्षा और नवनिर्माण में अमिट योगदान देने वाले वीरों और विविध प्रतिभाओं को मैं सादर स्मरण और नमन करता हूँ। हमारे लिए बहुत गौरव का विषय है कि सघन आदिवासी वन अंचल बस्तर में अमर शहीद गैंदसिंह, वीर गुण्डाधूर तथा मैदानी क्षेत्र में शहीद वीर नारायण सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर छŸाीसगढ़ में आजादी की चिंगारी सुलगाई थी, जिसे बाद में लाखों लोगों ने मशाल में बदल दिया।

जनता के प्रति जताया आभार

डॉ. सिंह ने कहा-मेरा सौभाग्य है कि स्वाधीनता दिवस पर, प्राणों से प्यारे तिरंगे झण्डे की छांव में खड़े होकर, आप लोगों को पन्द्रहवीं बार सम्बोधित कर रहा हूं। लगातार तीन पारियों तक आपके सेवक के रूप में मुझे काम करने का अवसर मिला। हर दिन के काम-काज में आप सबका मार्गदर्शन और सहयोग मिला, इसके लिए मैं जीवनभर आप सभी का आभारी रहूंगा। 

उन्होंने कहा - आज मेरी आंखों के सामने 7 दिसम्बर 2003 का वह दृश्य याद आ रहा है, जब मैंने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उस समय आजादी के 56 साल बाद भी जनता भूख, भय, भ्रष्टाचार, बीमारियां, बेरोजगारी, दमन, शोषण, आतंक की वजह से त्रस्त थी। गांवों से शहरों तक हताशा ने पैर पसार लिए थे। बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर पूरा गांव पलायन के लिए उमड़ पड़ता था, क्यांेकि गांवों की हालत बेहद खस्ता थी। सिंचाई, खाद, बीज, पानी, कृषि ऋण, बिजली, सड़क, नहर-नाली, स्कूल, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने किसानों और ग्रामीणों की कमर तोड़ दी थी। लाखों अन्नदाताओं केे माथे पर डिफाल्टर होने का तमगा चिपका दिया गया था, उन्हेें न तो सम्मान की जिंदगी मिल रही थी, न पेट भर अनाज। छŸाीसगढ़वासियों के आत्मसम्मान और अस्मिता पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। विकास की उम्मीद तो दूर की कौड़ी थी, जिंदगी के लाले पड़ गए थे। 

 

 

अन्नदाताओं की खुशहाली के लिए सरकार ने खोला खजाना

डॉ. सिंह ने कहा-हमने इस स्थिति को गहराई से देखा कि अधिक लागत और उपज का कम दाम मिलने का चक्रव्यूह तोड़े बिना किसानों का भला नहीं हो सकता। किसान भाई विवश होकर मुझे बताते थे कि महंगा कृषि ऋण लेकर वे दुष्चक्र में फंस चुके हैं और उनके भविष्य के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। ऐसे किसान भाइयों को तात्कालिक लाभ देने के लिए हमने समय-समय पर अल्पकालीन ऋण माफ किया। अन्नदाताओं की खुशहाली के लिए दिल और सरकार के खजाने खोल दिए। कृषि उपजों की उत्पादकता, उत्पादन, उपार्जन और वितरण प्रणाली की पूरी श्रृंखला में सुधार का महाअभियान चलाया। सिंचाई पम्पों की संख्या 72 हजार से बढ़ाकर लगभग 5 लाख तक पहुंचा दी, निःशुल्क बिजली दी, धान खरीदी केन्द्रों की संख्या दोगुनी की, पारदर्शी और ऑन लाइन प्रणाली लागू की व तुरंत भुगतान का इंतजाम किया। बिना ब्याज के कृषि ऋण दिया। कई तरह के अनुदान और सब्सिडी दी। पंद्रह वर्षों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी और बोनस की राशि मिलाकर किसानों के घर लगभग 76 हजार करोड़ रूपए पहुंचाए।

धान के समर्थन मूल्य में अभूतपूर्व वृद्धि

मुख्यमंत्री ने कहा - प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष धान का समर्थन मूल्य, एकमुश्त 200 रूपए प्रति क्ंिवटल बढ़ाने का जो अभूतपूर्व निर्णय लिया है, उससे हमारी धानी धरती के किसानी संस्कारों को बढ़ावा मिलेगा। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ से जो सुरक्षा कवच दिया गया था, उसके कारण हमारे 5 लाख 63 हजार किसानों को 1 हजार 295 करोड़ रूपए से अधिक का दावा भुगतान मिला है, जो अपने-आप में एक कीर्तिमान है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य जरूर पूरा होगा।

पन्द्रह वर्ष पहले की अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति की तकलीफों को याद करके मन कांप जाता है। वन क्षेत्रों में ऐसे बिचौलिये सक्रिय थे, जो चार-चिरौंजी जैसे मेवों से बदलकर नमक देते थे। बाकी सुविधाओं के बारे में तो सोचना भी बहुत दूर की बात थी। हमने न सिर्फ आयोडीनयुक्त नमक देने की व्यवस्था की बल्कि प्रोटीनयुक्त चना, सोलर लैम्प, चरण पादुका आदि वस्तुएं देकर उनका विश्वास जीतने की शुरूआत की।

आदिवासी अंचलों में जनता के नजदीक पहुंचा प्रशासन

डॉ. सिंह ने कहा - हमने प्रदेश में जिलों की संख्या 16 से बढ़ाकर 27 की, जिससे आदिवासी अंचलों में 7 नए जिले बने और प्रशासन को जनता के निकट पहुंचाने में मदद मिली। बस्तर और सरगुजा आदिवासी बहुल अंचलों को विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज जैसी समस्त संस्थाओं से सम्पन्न किया। प्राधिकरण बनाकर स्थानीय विकास की मांगों को तत्काल पूरा किया। अब प्रदेश के सर्वाधिक नवाचार सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बलरामपुर-रामानुजगंज जैसे जिलों में हो रहे हैं। बीजापुर का अस्पताल, दंतेवाड़ा-सुकमा, कोरबा में एजुकेशन हब, बलरामपुर की इंटरनेट कनेक्टिविटी, आदिवासी जिलों में जैविक खेती से लेकर कड़कनाथ मुर्गा पालन और महिलाओं द्वारा ई-रिक्शा चालन जैसे अनेक कार्य नई इबारतें लिख रहे हैं। दंतेवाड़ा, सरगुजा और राजनांदगांव में भी बीपीओ शुरू हो गए हैं, जो न सिर्फ स्थानीय युवाओं को रोजगार दे रहे हैं, बल्कि उनकी प्रतिभा का सही इस्तेमाल करने में भी मददगार हो रहे हैं।





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